एक बंदर और चिड़िया की कहानी एक घना जंगल था। उस जंगल में एक नटखट बंदर रहता था। उसका नाम था बबलू। बबलू दिनभर पेड़ से पेड़ कूदता, इधर-उधर मस्तियाँ करता और कभी-कभी जंगल के जानवरों के साथ खेलता। एक दिन बबलू पेड़ पर बैठे-बैठे ऊब गया। तभी उसने देखा कि एक छोटी-सी प्यारी चिड़िया एक पेड़ की टहनी पर अपने घोंसले के लिए तिनके ला रही थी। चिड़िया का नाम था चिंकी। बबलू ने चिड़िया से कहा, "अरे चिंकी! तुम दिनभर यही करती रहती हो — तिनके लाना और घोंसला बनाना। चलो, मेरे साथ खेलो।" चिंकी मुस्कुराई और बोली, "बबलू! पहले मेरा घोंसला पूरा हो जाए, फिर हम खेलेंगे। अगर तुम चाहो तो मेरी मदद कर सकते हो।" बबलू बोला, "ठीक है! मैं भी तुम्हारी मदद करूँगा। फिर हम मिलकर खूब खेलेंगे।" इसके बाद बबलू इधर-उधर से तिनके, पत्ते और नरम घास ढूंढ-ढूंढ कर लाने लगा। दोनों मिलकर मेहनत करते गए। कुछ ही घंटों में चिंकी का सुंदर-सा घोंसला बन गया। चिंकी बहुत खुश हुई। उसने बबलू को धन्यवाद कहा और बोली, "तुम बहुत अच्छे दोस्त हो बबलू!" बबलू हँसकर बोला, "अब चलो, खेलते हैं!" फिर दोनों मिलकर पेड़ों पर झूले झूलने लगे, तालाब के किनारे पानी में छींटे मारने लगे और जंगल में दोड़-भाग करने लगे। सारा जंगल उनकी दोस्ती की मिसाल
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